आईपीसी की धारा 420 : शुरुआत से ही धोखाधड़ी के आरोप के अभाव में कोई अपराध स्थापित नहीं होता : झारखंड हाईकोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट ने माना है कि लेन-देन के समय धोखे, झूठे वादे या प्रलोभन के किसी भी आरोप के अभाव में, केवल दावा किए गए तरीके से ऋण चुकाने के लिए दी गई अंडरटेकिंग का उल्लंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता है।
न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने आरोपी की सजा को रद्द करते हुए कहा,
”इस न्यायालय ने यह भी पाया कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता के बीच विवाद अनिवार्य रूप से दीवानी विवाद के दायरे में आता था और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता का इरादा ऋण के लेनदेन/ याचिकाकर्ता को मोबाइल और सोने की अंगूठी सौंपने के समय से ही शिकायतकर्ता को धोखा देने का था। इसलिए भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत याचिकाकर्ता की दोषसिद्धि को कानून की नजर में कायम नहीं रखा जा सकता है।”