भूमि संबंधी समझौता डिक्री जो वाद का विषय नहीं है, लेकिन परिवारिक समझौते का हिस्सा है, तो अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भूमि के संबंध में एक समझौता डिक्री, जो मुकदमे की विषय-वस्तु नहीं है, लेकिन परिवार के सदस्यों के बीच समझौते का हिस्सा है, उसके लिए अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती है। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि भूमि के संबंध में पक्षों के बीच समझौता डिक्री, जो मुकदमे की विषय वस्तु नहीं है, वैध और कानूनी समझौता है। इस मामले में, उच्च न्यायालय ने इस आधार पर एक मुकदमे को खारिज कर दिया था कि एक भूमि जो समझौते की विषय-वस्तु होने के बावजूद, मुकदमे की विषय-वस्तु नहीं थी और इसलिए डिक्री को पंजीकरण अधिनियम की धारा 17(2)(vi) के तहत पंजीकरण की आवश्यकता थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में मुद्दा यह था कि भूमि के संबंध में एक समझौता डिक्री, जो वाद की विषय-वस्तु नहीं है, लेकिन परिवार के सदस्यों के बीच समझौते का हिस्सा है, क्या उसके लिए पंजीकरण अधिनियम की धारा 17(2)(vi) के तहत अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता है?