कलकत्ता हाईकोर्ट ने कस्टडी के मामले में बच्चे के हाथ से लिखे पत्र पर विश्वास जताया, नहीं सौंपी माँ को बच्चे की कस्टडी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह दोहराया कि कस्टडी के मामलों में बच्चे की भलाई पर अत्यधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। तदनुसार, इसने उपेक्षा और दुर्व्यवहार के संबंध में बच्चे के हाथ से लिखे पत्र के आधार पर एक बच्चे को उसकी मां की कस्टडी से हटाने के आदेश को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति शिवकांत प्रसाद ने कहा कि एक नाबालिग की भलाई अन्य सभी विचारों को देखकर हो पाएगा, “इस प्रकार, बच्चे की कस्टडी के मामले में यह अच्छी तरह से स्थापित कानून है कि सर्वोपरि विचार बच्चे की भलाई है न कि माता-पिता का अधिकार।”