‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अधिसूचना यूएपीए के समान अपनी आलोचना को प्रतिबंधित करती है’: बॉम्बे हाईकोर्ट में बीसीआई के संशोधित नियमों के खिलाफ याचिका दायर
मुंबई के एक वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के संशोधित नियमों की तुलना गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम से की। याचिकाकर्ता का कहना है कि संशोधित नियम का उपयोग बीसीआई या एक जज की सार्वजनिक आलोचना या असहमति को दबाने के लिए किया जाएगा।
बीसीआई के नियम एडवोकेट एक्ट की धारा 35 के तहत प्रिंट, सोशल या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से आलोचना को ‘कदाचार’ और अयोग्यता, निलंबन या बार काउंसिल से सदस्यता हटाने का आधार बनाते हैं।
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