बिना पेनिट्रेशन के आरोपी द्वारा अपनी और पीड़िता की पतलून उतारने का कृत्य POCSO के तहत यौन हमले के समान, ‘बलात्कार का प्रयास’ नहींः जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना है कि पेनिट्रेशन के अभाव में किसी आरोपी द्वारा अपनी और पीड़िता की पतलून को उतारने का कृत्य भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 376/511 के अर्थ में ‘बलात्कार का प्रयास’ नहीं है। हालाँकि, कोर्ट ने कहा है कि यह कृत्य POCSO एक्ट की धारा 7/8 के तहत यौन हमले की श्रेणी में आ सकता है। न्यायमूर्ति संजीव कुमार ने इस मामले में उस आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी है,जिस पर आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा), 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल), 511 (आजीवन कारावास या अन्य कारावास के साथ दंडनीय अपराध करने का प्रयास करने के लिए दंड) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 8 (यौन हमले के लिए सजा) के तहत अपराध करने का आरोप है।