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आईपीसी की धारा 304 बी के तहत आरोप की पुष्टि हो जाने पर किसी आरोपी को आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध से बरी नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

आईपीसी की धारा 304 बी के तहत आरोप की पुष्टि हो जाने पर किसी आरोपी को आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध से बरी नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 बी के तहत आरोप की पुष्टि हो जाने पर किसी आरोपी को आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता।

इस मामले में शादी के करीब 15 महीने के समय के भीतर एक विवाहिता ने दो सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली थी।

शिकायतकर्ता/मृतक के पिता ने आईपीसी की धारा 304बी, 306, 498ए, 406, 506 सहपठित धारा 34 आईपीसी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत पति और सास, ससुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।। बाद में उच्च न्यायालय ने मृतका की सास व ससुर को धारा 304बी आईपीसी एवं दहेज निषेध अधिनियम के तहत आरोपों की पुष्टि करते हुए धारा 306 आईपीसी के तहत अपराध से मुक्त कर दिया था।

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