सीआरपीसी की धारा 311 के तहत किसी भी व्यक्ति को समन करने की अदालत की शक्ति का इस्तेमाल अभियोजन साक्ष्य में कमियों को भरने के लिए नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ट्रायल जज के उस आदेश को रद्द किया, जिसमें एक गवाह को जांच के लिए ट्रायल के अंत में वापस बुलाया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत किसी भी व्यक्ति को समन करने की अदालत की शक्तियों का इस्तेमाल अभियोजन साक्ष्य में कमियों को भरने के लिए नहीं किया जा सकता है।
न्यायाधीश रेवती मोहिते डेरे ने कहा कि,
“इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीआरपीसी की धारा 311 के तहत कोई भी अदालत किसी भी जांच, मुकदमे या अन्य कार्यवाही के किसी भी चरण में किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में समन द्वारा बुला सकती है या किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति की जांच कर सकती है, हालांकि एक जांच हो जाने के बाद गवाह को फिर से जांच के लिए समन द्वारा नहीं बुलाया जा सकता है। इसके साथ ही सीआरपीसी की धारा 311 के तहत उक्त शक्ति का उपयोग अभियोजन साक्ष्य में कमियों को भरने के लिए नहीं किया जा सकता है।”