“संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 भाग 25: विक्रय के पूर्व और पश्चात क्रेता और विक्रेता के अधिकार तथा दायित्व (धारा 55)
संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 धारा 55 विक्रय के पश्चात और उसके पहले क्रेता और विक्रेता के अधिकार तथा दायित्व का उल्लेख करती है। यह धारा एक प्रकार से क्रेता और विक्रेता के अधिकारों तथा उनके एक दूसरे के विरुद्ध दायित्व को स्पष्ट रूप से उल्लखित कर देती है जिससे किसी भी विक्रय में उसके पूर्व तथा उसके बाद किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं आए। लेखक इस आलेख के अंतर्गत इन्हीं अधिकारों पर तथा दायित्व पर टीका प्रस्तुत कर रहे है। इससे पूर्व के आलेख के अंतर्गत विक्रय की समस्त अवधारणा पर टीका किया गया था जिसके अंतर्गत विक्रय की परिभाषा, विक्रय के तत्व तथा विक्रय के प्रकारों पर प्रकाश डाला गया था।