“केवल शिकायत दर्ज करने में हुई देरी के कारण बयानों को खारिज नहीं किया जा सकता”: कोर्ट ने दिल्ली दंगों के तीन मामलों में एक के खिलाफ आरोप तय किए
केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को मरने से पहले दिए गए बयान की स्वीकार्यता पर विचार किया और कहा कि अगर मरने से दिए गए सिलसिलेवार बयान विश्वसनीय पाए जाते हैं तो एक-दूसरे को विश्वसनीयता प्रदान करते हैं और अभियुक्तों के अपराध को साबित करते हैं। जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस ज़ियाद रहमान की खंडपीठ ने मामले में एक अपील को खारिज कर दिया, जहां एक मरती हुई महिला ने लगातार चार बयान दिए थे, जिसमें यह संकेत था कि उसकी हत्या उसके बहनोई ने की है। कोर्ट ने फैसले की शुरुआत में कहा, “एक आदमी अपने बनाने वाले से मिलने पर झूठ नहीं बोलेगा।”