“प्रपोजल ठुकराने पर महिला पर तेजाब से हमला करने वाले व्यक्ति के प्रति कोई नरमी नहींः कर्नाटक हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास और 10 लाख जुर्माने की सजा बरकरार रखी
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि,”एसिड अटैक बुनियादी मानवाधिकारों के खिलाफ एक अपराध है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत सबसे पोषित मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।” न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वी श्रीशानंद की खंडपीठ ने एक ठुकराए हुए प्रेमी महेशा (32) को भारतीय दंड संहिता की धारा 326 (ए) के तहत दी गई आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि करते हुए कहा कि, ”पीडब्ल्यू नंबर-8 पर आरोपी द्वारा कथित तेजाब हमला केवल इस आधार पर किया गया था कि उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया था क्योंकि उसके माता-पिता ने सहमति नहीं दी थी। आरोपी पीड़िता को अपना गुलाम नहीं मान सकता है और न ही उसके चेहरे और शरीर पर तेजाब डाल सकता है। आरोपी की क्रूरता ने इस कोर्ट की चेतना को झकझोर दिया है।”