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पीड़िता की जांघों के बीच किया गया पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एक्ट IPC की धारा 375(c) के तहत परिभाषित ‘बलात्कार’ के समान: केरल हाईकोर्ट

“पीड़िता की जांघों के बीच किया गया पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एक्ट IPC की धारा 375(c) के तहत परिभाषित ‘बलात्कार’ के समान: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब पी‌ड़ित के शरीर को ऐसी सनसनी पैदा करने के लिए छेड़ा जाता है, जो पेनेट्रेशन (पेनेट्रेशन ऑफ एन ऑरफिस यानि एक छ‌िद्र में प्रवेश) जैसी हो तो बलात्कार का अपराध आकर्षित होगा। जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस जियाद रहमान एए की खंडपीठ ने कहा, “… हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि जब पीड़ित के पैरों को एक साथ जोड़कर, उसके शरीर में छेड़छाड़ की जाती है, ताकि ऐसी सनसनी पैदा हो, जो पेनेट्रेशन (पेनेट्रेशन ऑफ एन ऑरफिस यानि एक छ‌िद्र में प्रवेश) जैसी हो तो बलात्कार का अपराध आकर्षित होता है। इस प्रकार एक साथ जोड़ी गई जांघों में पेनेट्रेशन किया जाता है तो यह निश्चित रूप से सेक्‍शन 375 के तहत परिभाषित “बलात्कार” के समान होगा।”

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