“जब पति या पत्नी उचित कारण के बिना सहवास की पेशकश से इनकार करते हैं, तो यह ‘रचनात्मक परित्याग’ के समान हैः केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने माना है कि जब अपीलकर्ता-पति वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव देता है, और प्रतिवादी-पत्नी बिना किसी उचित कारण के इसका विरोध करती है,सहवास फिर से शुरू करने में विफल रहती है, तो यह ”रचनात्मक परित्याग” के समान है। जस्टिस ए मोहम्मद मुस्तक और कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने विवाह को खत्म करने की मांग करते हुए दायर एक आवेदन को अनुमति देते हुए सावित्री पांडे बनाम प्रेम चंद पांडे (2002) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का हवाला दिया, जहां यह माना गया है कि परित्याग रचनात्मक भी हो सकता है और इसका वर्तमान परिस्थितियों से अनुमान लगाया जाना चाहिए।