

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि अल्पसंख्यक दर्जे को फिर से निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार के पास कोई शक्ति निहित नहीं है। मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की खंडपीठ ने राज्य में मुस्लिम और ईसाई समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका में कहा कि, “याचिकाकर्ता ने केरल राज्य को एक इकाई के रूप में ध्यान में रखते हुए केरल में मुसलमानों और ईसाई समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे को फिर से निर्धारित करने के लिए पहले प्रतिवादी यानी भारत सरकार को आदेश देने वाले परमादेश की मांग की है। हमारे विचार में अधिनियम 1992 या अधिनियम, 2004 के प्रावधानों के तहत अल्पसंख्यक दर्जे को फिर से निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार के पास कोई शक्ति निहित नहीं है।”
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